पवित्र बाइबिल : Pavitr Bible ( The Holy Bible )

पुराना विधान : Purana Vidhan ( Old Testament )

रूत का ग्रन्थ ( Ruth )

अध्याय 1

1) न्यायकर्ताओं के समय देष में अकाल पड़ा, इसलिए यूदा के बेथलेहेम का एक व्यक्ति अपनी पत्नी और अपने दोनों पुत्रों के साथ मोआब के मैदान में बसने आया।
2) उस व्यक्ति का नाम एलीमेलेक था, उसकी पत्नी का नाम नोमी और उसके दोनों पुत्रों के नाम महलोन और किल्योन। वे यूदा के बेथलेहेम के एफ्र+ाती थे। वे मोआब देष जा कर वहॉंँ रहने लगे।
3) नोमी का पति एलीमेलेक मर गया और वह अपने दोनों पुत्रों के साथ रह गयी।
4) उन्होेंने मोआबी स्त्रियों के साथ विवाह किया - एक ओर्पा कहलाती थी और दूसरी रूत। उन्होंने दस वर्ष तक वहाँॅॅं निवास किया।
5) इसके बाद महलोन और किल्योन भी मर गये और नोमी अपने दोनों पुत्रों और अपने पति से वंचित हो गयी।
6) तब उसने अपनी बहुओं के साथ मोआब के मैदान से चल देने का निष्चय किया; क्योंकि उसने सुना था कि प्रभु ने अपनी प्रजा की सुधि ली और उसे खाने के लिए रोटी दी थी।
7) इसलिए वह अपनी दोनों बहुओं के साथ अपने निवास स्थान से यूदा देष के लिए रवाना हुई।
8) नोमी ने अपनी दोनों बहुओं से कहा, ''अब तुम दोनों अपनी-अपनी माता के घर लौट जाओ। तुमने अपने मृत पति ओर मेरे साथ जैसा सद्व्यवहार किया है, प्रभु भी तुम्हारे साथ वैसा ही करे।
9) प्रभु ऐसा करे कि तुम दोनों को अपने-अपने पति के घर शान्ति मिले।'' इसके बाद उसने उनका चुम्बन किया। वे फूट-फूट कर रोने लगीं।
10) दोनों ने उस से कहा, ÷÷नहीं, हम आपके साथ, आपकी जाति के लोगो के पास चलेंगीं।''
11) परन्तु नोमी ने उत्तर दिया, ÷÷मेरी पुत्रियो, तुम वापस चली जाओ। तुम मेरे साथ क्यों चलना चाहती हो? क्या मैं और पुत्र उत्पन्न कर सकँूॅगी, जो तुम्हारे पति बनें?
12) जाओ, मेरी पुत्रियो, लौट जाओ; क्योंकि मैं इतनी बूढ़ी हो चुकी हँॅू कि विवाह नहीं कर सकती। यदि मैं गर्भधारण करने की आषा भी करूँॅ और फिर चाहे आज रात को ही विवाह कर लॅूँ और मेरे पुत्र भी पैदा हो जायें,
13) तब भी क्या तुम उनके बडे+ होने तक बैठी रहोगी और विवाह नहीं करोगी? नहीं, मेरी बेटियों! मैं तुम्हारे कारण बहुत दुःखी हॅॅॅूँँ। प्रभु के हाथ ने मुझे मारा है।''
14) दोनों बहुएँ फिर फूट-फूट कर रोने लगीं। ओर्पा अपनी सास को गले लगा कर अपने लोगों के यहॉंँ लौट गयी, किन्तु रूत अपनी सास से लिपट गयी।
15) नोमी ने उस से कहा, ÷÷देखो, तुम्हारी जेठानी अपने लोगों और अपने देवताओं के पास लौट गयी है। तुम भी अपनी जेठानी की तरह लौट जाओ।''
16) किन्तु रूत ने उत्तर दिया, ÷÷इसके लिए अनुरोध न कीजिए कि मैं आप को छोड़ दूॅूँ और लौट कर आप से दूर हो जाऊँॅ। आप जहॉँ जायेंगी, वहॉँ मैं भी जाऊँगी और आप जहाँ रहेंगी, वहाँ मैं भी रहूँगी। आपकी जाति मेरी भी जाति होगी और आपका ईष्वर मेरा भी ईष्वर होगा।
17) जहॉँ आप मरेंगी, वहाँॅ मैं भी मरूॅँगी और दफ़नायी जाऊँॅगी। यदि मृत्यु को छोड़ कर कोई और बात मुझे आप से अलग कर दे, तो ईष्वर मुझे कठोर-से-कठोर दण्ड दिलाये।''
18) जब नोमी ने देखा कि उसका साथ चलने का दृढ़ निष्चय है, तो उसने इस विषय में उस से फिर कुछ नहीं कहा।
19) बेथलेहेम पहँुॅचने तक दोनों साथ-साथ आगे बढ़ती गयीं। उनके बेथलेहेम पहँचने पर उनके कारण सारे नगर में हलचल मच गयी। स्त्रियॉंँ कहने लगीं, ÷÷क्या यह नोमी है?''
20) उसने उन से कहा, ÷÷मुझे नोमी (सुखी) मत कहो, मुझे मारा (दुःखिया) कहो; क्योंकि प्रभु ने मुझे बड़ा दुःख दिया है।
21) मैं यहॉँ से भरीपूरी गयी थी, किन्तु सर्वषक्तिमान् ने मुझे ख़ाली हाथ लौटाया है। तुम मुझे नोमी क्यों कहती हो? प्रभु ही मेरे विरुद्ध है। सर्वषक्तिमान् ने ही मुझ पर विपत्ति ढाही है।''
22) इस प्रकार नोमी अपनी मोआबी बहू रूत के साथ मोआब के मैदान से लौटी। वे जौ की कटनी के प्रारम्भ में बेथलेहेम पहॅुँची।

अध्याय 2

1) अपने पति की तरफ़ से नोमी के बोअज+ नामक एक सम्बन्धी था। वह एलीमेलेक के कुल का बहुत धनी मनुष्य था।
2) मोआबिन रूत ने नोमी से कहा, ÷÷मुझे खेतों में जाने दीजिए। जो मुझ पर कृपा करेगा, उसी के पीछे-पीछे सिल्ला बीनना चाहती हँॅॅॅू।'' उसने उत्तर दिया, ÷÷बेटी, जाओ।''
3) वह गयी और खेतों में फ़सल काटने वालों के पीछे-पीछे सिल्ला बीनने लगी। सौभाग्य से वह जिस खेत पर पहुॅँची, वह एलीमेलेक के कुल के बोअज+ का ही था।
4) जब बोअज+ बेथलेहेम से आया, तो उसने काटने वालों से कहा, ÷÷प्रभु तुम्हारे साथ हो!'' और उन्होंने उत्तर दिया, ÷÷प्रभु आपका कल्याण करे!''
5) इस पर बोअज+ ने अनाज काटने वालों के मेट से पूछा, ÷÷वह किसकी लड़की है?''
6) काटने वालों के मेट ने उत्तर देते हुए कहा, ÷÷वह एक मोआबिन लड़की है, जो नोमी के साथ मोआब देष से आयी है। उसने कहा, ÷क्या मैं बीन सकती और काटने वालों के पीछे-पीछे पूलों के आसपास की बालें बटोर सकती हूॅॅँ?'
7) वह बड़े सबेरे आ कर अब तक बीन रही है। उसने केवल झोपड़ी में थोड़ा-सा आराम किया।''
8) बोअज+ ने रूत से कहा, ÷÷बेटी! सुनो। दूसरे खेत में सिल्ला बीनने मत जाओ। यहाँ रहो। मेरी नौकरानियों के साथ रहो।
9) इसका ध्यान रखा करो कि किस खेत में फ़सल कट रही है और उनके पीछे-पीछे चलो। मैं अपने नौकरों को आदेष दे चुका हँॅू कि वे तुम को तंग न करें। यदि तुम्हें प्यास लगे, तो नौकरों द्वारा भरे हुए घड़ों में से पानी पीने जाओ।''
10) रूत ने साष्टांग प्रणाम किया और कहा, ÷÷मुझे आपकी कृपादृष्टि कैसे प्राप्त हुई? मैं तो परदेषिनी हूॅंँ और आप मेरी सुधि लेते हैं।''
11) बोअज+ ने उत्तर दिया, ÷÷लोगों ने मुझे बताया कि तुमने अपने पति की मृत्यु के बाद अपनी सास के लिए क्या-क्या किया है। तुम अपने माता-पिता और अपनी जन्मभूमि को छोड़ कर, ऐसे लोगों के यहॉंँ चली आयी हो, जिन्हें तुम पहले नहीं जानती थी।
12) तुमने जो किया, प्रभु तुम्हें उसका बदला दे। प्रभु, इस्राएल के ईष्वर, जिसकी छत्रछाया में तुम आ गयी हो, तुम्हें पूरा-पूरा प्रतिफल दे।''
13) उसने उत्तर दिया, ÷÷महोदय! आपकी बड़ी कृपा है। आपने मुझे बड़ा धीरज बँंधाया है और अपनी दासी से दयापूर्ण बातें की हैं, यद्यपि मैं आपकी दासी तक नहीं हँॅॅूं।''
14) भोजन करते समय बोअज+ ने उस से कहा, ÷÷इधर आ कर रोटी लो और उसे सिरके में डुबा कर खाओं।'' वह काटने वालों के साथ बैठ गयी। तब उसने उसे कुछ भुना हुआ अनाज दिया। वह खा कर तृप्त हो गयी और उसके पास कुछ बच भी गया।
15) इसके बाद वह फिर सिल्ला बीनने के लिए उठी और बोअज+ ने अपने नौकरों को यह आदेष दिया, ÷÷वह पूलों के बीच-बीच में बीन सकती है। उसे मना नहीं करो।
16) पूलों से भी कुछ डंठल गिरा देना, जिससे वह उन्हें बीन सके। उसे मत डॉँटो।''
17) रूत शाम तक खेत में सिल्ला बीनती रही। तब उसने बीना हुआ जौ फटका और लगभग़ आधा मन निकला।
18) वह उसे ले कर नगर आयी और उसने अपनी सास को अपना बीना हुआ अनाज दिखाया और भोजन कर तृप्त हो लेने के बाद जो बचा था, वह भी ला कर उस को दिया।
19) उसकी सास ने उससे पूछा, ÷÷आज तुमने सिल्ला कहॉंँ बीना? तुमने कहॉंँ काम किया? जिसने तुम्हारा भला किया है, उसका भी भला हो।'' इस पर उसने अपनी सास को उसके विषय में बताया, जिसके यहॉँ उसने काम किया था। उसने कहा, ÷÷जिसके यहाँ मैंने आज काम किया, उस पुरुष का नाम बोअज+ है।''
20) नोमी ने अपनी बहू से कहा, ÷÷उसे उस प्रभु का आषीर्वाद मिले, जो जीवितों और मृतकों पर दया करता है।'' आगे नोमी ने उस से कहा, ÷÷वह आदमी हमारा सम्बन्धी ही नहीं है, वरन् उन लोगों में है, जिनको हमारी भूमि के उद्धार का अधिकार है।''
21) तब मोआबिन रूत ने कहा, ÷÷उसने मुझ से यह भी कहा है कि जब तक मेरी फ़सल न कट जाये, तब तक तुम मेरे नौकरों के साथ ही रहो।''
22) नोमी ने अपनी बहू रूत से कहा, ÷÷ठीक है, बेटी। तुम उसकी दासियों के साथ ही रहना। कहीं ऐसा न हो कि दूसरे खेत में कोई तुम्हारे साथ दुव्यर्वहार कर बैठे।''
23) इसलिए वह जौ और गेहँॅू की कटनी के अन्त तक बोअज+ की दासियों के साथ अनाज बीनती रही और अपनी सास के साथ रहती थी।

अध्याय 3

1) एक दिन उसकी सास नोमी ने उससे कहा, ÷÷बेटी, मैं तुम्हारे लिए एक ऐसा घर क्यों न बसा दूॅंँ, जिससे तुम्हारा कल्याण हो जायें?
2) देखो, बोअज+, जिसकी नौकरानियों के साथ तुम रह चुकी हो, हमारा सम्बन्धी है। वह आज शाम को खलिहान में जौ की ओसावन करेगा।
3) इसलिए स्नान कर सुगन्धित इत्र लगा लो और अपने अच्छे-से-अच्छे वस्त्र पहन कर खलिहान चली जाओ। लेकिन जब तक वह खा-पी न ले, तब तक यह ध्यान रखना कि वह तुम्हें पहचान न पाये।
4) फिर जब वह सोने के लिये लेटे, तो वह स्थान अच्छी तरह देख लेना, जहाँॅ वह लेट गया है। तब तुम उसके पास जा कर और उसके पाँव उघाड़ कर वहीं लेट जाना। वह तुम्हें बतायेगा कि तुम्हें क्या करना चाहिए।''
5) उसने उत्तर दिया, ÷÷आप जैसा कहती हैं, मैं ठीक वही करूँॅगी।''
6) तब वह खलिहान गयी और उसने ठीक वैसा ही किया, जैसा उसकी सास ने उस से कहा था।
7) जब खाने-पीने के बाद बोअज+ प्रसन्नचित्त था, तो अनाज के ढेर के पीछे सोने चला गया। तब रूत घीरे-धीरे आयी और उसके पॉँवों को उघाड़ कर वहीं लेट गयी।
8) आधी रात को बोअज+ चौंक उठा। उसने मुड़ कर अपने पॉँवों के पास एक स्त्री को लेटे हुए देखा।
9) उसने पूछा, ÷÷तुम कौन हो?'' तब उसने उत्तर दिया, ÷÷मैं आपकी दासी रूत हँॅू। अपने वस्त्रों का छोर अपनी दासी पर फैला दीजिए, क्योंकि आप मेरे सम्बन्धी हैं, आप को हमारी भूमि का उद्धार करने का अधिकार है।''
10) उसने कहा, ÷÷बेटी, प्रभु तुम्हें आषीर्वाद दे। तुम धनी या निर्धन युवकों के पीछे नहीं दौड़ी और अब तुमने अपने प्रेम का अधिक स्पष्ट प्रमाण किया।
11) बेटी! अब तुम नहीं डरो। तुम जो कुछ माँॅगोगी, मैं वह सब तुम्हारे लिए करूँॅगा, क्योंकि नगर के सब लोग जानते हैं कि तुम एक साध्वी स्त्री हो।
12) यह सच है कि तुम्हारा सम्बन्धी होने के नाते मुझे तुम्हारी भूमि का उद्धार करने का अधिकार है, परन्तु एक दूसरा व्यक्ति है, जो मुझ से अधिक तुम्हारा निकट का सम्बन्धी है।
13) रात को यहीं रहो। यदि वह कल तुम्हारी भूमि का उद्धार करना चाहेगा, तो ठीक है, उद्धार करे। किन्तु यदि वह तुम्हारी भूमि का उद्धार करना नहीं चाहेगा, तो जीवन्त ईष्वर की शपथ! मैं तुम्हारी भूमि का उद्धार करूॅंँगा। तुम प्रातःकाल तक यहीं पड़ी रहो।''
14) वह प्रातःकाल तक उसके पॉँवों के पास ही पड़ी रही और उसी समय उठी, जब कोई किसी को पहचान नहीं सकता था; क्योंकि बोअज+ ने सोचा कि किसी को यह पता न लग पाये कि वह स्त्री खलिहान में आयी थी।
15) बोअज+ ने कहा, ÷÷अपनी ओढ़नी फैलाओं।'' ओढ़नी फैलाने पर उसने उस में आधा मन जौ डाल दिया और उसे उठा कर उसके सिर पर रख दिया। इसके बाद वह नगर गयी।
16) जैसे ही वह अपनी सास के पास आयी, उसने उस से पूछा, ÷÷क्या हुआ बेटी?'' तब उसने उसे वह सब सुनाया, जो उस व्यक्ति ने उसके साथ किया था
17) और कहा, ÷÷यह कहते हुए कि तुम्हें ख़ाली हाथ अपनी सास के पास नहीं जाना चाहिए, उसने मुझे आधा मन जौ दिया।''
18) सास ने कहा, ÷÷बेटी! जब तक पता नहीं चले कि क्या होगा, तुम चुप रहो। वह आदमी तब तक चैन नहीं लेगा, जब तक वह आज यह मामला तय न कर दे।''

अध्याय 4

1) बोअज+ नगर के फाटक के पास जा कर वहाँॅ बैठ गया। उद्धार करने का वह अधिकारी सम्बन्धी भी वहाँॅ पहॅुँचा, जिसके विषय में बोअज+ ने कहा था। बोअज+ ने कहा, ''भाई! आओ, यहॉँ बैठो।'' वह आ कर वहीं बैठ गया।
2) फिर उसने नगर के नेताओं में दस को बुला कर उनसे कहा, ÷÷आप भी यहाँ बैठिए।''
3) बोअज+ ने उन लोगों के बैठने पर उस उद्धार करने के अधिकारी सम्बन्धी से कहा, ÷÷नोमी, जो मोआब देष से लौट आयी है, हमारे सम्बन्धी एलीमेलेक की जमीन बेचना चाहती है।
4) इसलिए मैंने यह विचार किया है कि तुम्हें उसके बारे में बता कर तुम से कह दूॅँ कि यहॉँ बैठे हुए लोगों और प्रजा के नेताओं के सामने तुम उसे मोल ले लो। यदि तुम उसका उद्धार करना चाहते हो, तो करो और यदि तुम उद्धार नहीं करना चाहते हो, तो मुझे बताओ, जिससे मुझे तुम्हारी इच्छा मालूम हो जाये; क्योंकि तुम्हारे सिवा किसी और को उद्धार करने का अधिकार नहीं है। तुम्हारे बाद मेरा अधिकार है।'' उसने उत्तर दिया, ÷÷हाँॅं, मैं उसका उद्धार करूॅँगा।''
5) इस पर बोअज+ ने कहा, ÷÷जिस दिन तुम नोमी से यह भूमि लोगे, उसी दिन तुम्हें उस मृतक की विधवा पत्नी मोआबिन रूत को भी अपनाना होगा, जिससे उस ज+मीन पर उस मृतक का नाम भी बना रहे।''
6) यह सुन उस सम्बन्धी ने कहा, ÷÷यदि ऐसा है, तो मैं उसका उद्धार नहीं करूँॅगा। नहीं तो मेरी अपनी विरासत को हानि पहँुॅचेगी। तुम उद्धार करने का अधिकार ले लो, क्योंकि मैं उद्धार करने में असमर्थ हँॅूं।''
7) प्राचीन काल में इस्राएल में उद्धार और विनिमय को सुदृढ़ करने की यह प्रथा थी कि मनुष्य अपना जूता उतार कर दूसरे को दे देता था। इस्राएल में किसी भी बात को सुदृढ़ करने की यही प्रथा थी।
8) इसलिए जब उस सम्बन्धी ने बोअज+ से कहा कि उसे तुम्हीं ख़रीद लो, तो उसने अपना जूता उतार दिया।
9) इस पर बोअज+ ने नेताओं और अन्य सब लोगों से कहा, ÷÷आज आप इस बात के साक्षी हैं कि मैंने नोमी के हाथों से एलीमेलेक, किल्योन और महलोन का सारा भूभाग ख़रीद लिया है।
10) इसके साथ ही मैंने महलोन की विधवा, मोआबिन रूत को भी अपना लिया है, जिससे मैं उस मृतक के दायभाग पर उसका नाम इसलिए बनाये रखूॅंँ कि मृतक का नाम उसके सम्बन्धियों और उसके नगर के न्यायालय में नहीं मिटे। आज आप इस बात के साक्षी हैं।''
11) इस पर फाटक पर एकत्रित सब लोगों और नेताओं ने कहा, ÷÷हाँ, हम इस बात के साक्षी हैं। प्रभु ऐसा करे कि वह स्त्री, जो तुम्हारे घर आ रही है, राहेल और लेआ के समान हो, जिन दोनों ने इस्राएल का वंष चलाया था। तुम एफ्र+ाता में फलो-फूलो और बेथलेहेम में तुम्हारी कीर्ति बढ़े।
12) प्रभु की कृपा से इस युवती से उत्पन्न होने वाली सन्तान द्वारा तुम्हारा घर उस पेरेस के घर-जैसा बन जाये, जो यूदा के यहॉंँ तोमार से उत्पन्न हुआ था।''
13) बोअज+ ने रूत को अपनी पत्नी के रूप में अपनाया। बोअज+ का उस से संसर्ग हुआ। प्रभु की कृपा से रूत गर्भवती हो गयी और उसने पुत्र प्रसव किया।
14) स्त्रियों ने नोमी से कहा, ÷÷धन्य हैं प्रभु! उसने अब आप को एक उत्तराधिकारी दिया है और उसका नाम इस्राएल में बना रहेगा।
15) वह आप को नया जीवन प्रदान करेगा और बुढ़ापे में आपका सहारा होगा, क्योंकि आपकी बहू ने उसे जन्म दिया है। वह आप को प्यार करती है और आपके लिए सात पुत्रों से भी बढ़ कर है।''
16) नोमी ने षिषु को अपनी छाती से लगा लिया और उसका पालन-पोषण किया।
17) पड़ोस की स्त्रियों ने यह कहते हुए षिषु का नाम रखा, ÷÷नोमी को पुत्र उत्पन्न हुआ है।'' उन्होंने उसका नाम ओबेद रखा वही दाऊद के पिता यिषय का पिता है।
18) पेरेस की वंषावली इस प्रकार है : पेरेस हेस्त्रोन का पिता था,
19) हेस्त्रोन राम का, राम अम्मीनादाब का,
20) अम्मीनादाब नहषोन का और नहषोन सलमोन का।
21) सलमोन बोअज+ का पिता था, बोअज+ ओबेद का,
22) ओबेद यिशय का और यिशय दाऊद का।