पवित्र बाइबिल : Pavitr Bible ( The Holy Bible )

पुराना विधान : Purana Vidhan ( Old Testament )

आमोस का ग्रन्थ ( Amos )

अध्याय 1

1) तकोआ के चरवाहों में से आसोम के वचन। भूकम्प के दो वर्ष पहले यूदा के राजा उज्जीया के दिनों में और इस्राएल के राजा योआश के पुत्र यरोबआम के दिनों में आमोस ने इस्राएल के विषय में दिव्य दर्शन में ये वचन सुनेः
2) ''प्रभु-ईश्वर सियोन से गरजता है, येरुसालेम से उसका स्वर गूँजता है; चरवाहों के चरागाह शोक मना रहे हैं और करमेल का शिखर झुलस गया है।''
3) प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''दमिश्क के असंख्य अपराधों के कारण उसके दण्ड का निर्णय अअल है; उसने तो लोहे के पहियों से गिलआद को रौंदा था।
4) इसलिए मैं हजाएल के महल मे आग लगा दूँगा, जो बेन-हदद के गढ़ों को भी भस्म कर डालेगी।
5) मैं दमिश्क के प्रवेशद्वार की अर्गला तोडूँगा; आवेन घाटी के निवासियों को बौर बतएदेन के राज्यपाल को मिटा दूँगा; और अराम के लागों को कीर में निर्वासित होना पडेगा''। यह प्रभु की वाणी है।
6) प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''गाजा के असंख्य अपराधों के कारण उसके दण्ड का निर्णय अटल है; उन्होंने तो एक पूरी जाति को निर्वासित कर एदोम के हाथों सौंप दिया था।
7) इसलिए मैं गाजा की दीवारों में आग लगा दूँगा, जो उसके गढ़ों को भस्म कर डालेगी।
8) मैं अशदोद के निवासियों का नाश करूँगा और अशकलीन के राज्यपाल को मिटा दूँगा। मैं एफ्रोन पर अपना हाथ उठाऊँगा और फिलिस्तियों के अवशिष्ट लोग भी नष्ट हो जायेगे।'' यह प्रभु ईश्वर की वाणी है।
9) प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''तीरूस के असंख्य अपराधों के कारण उसके दण्ड का निर्णय अटल है; उन्होंने तो भाईचारे की सांधि को ठुकरा कर एक पूरी जाति को ेनिर्वासित किया था और एदोम के हाथों सौंप दिया था।
10) इसलिए मैं तीरूस की दीवारों पर आग बरसा दूँगा, जो उसके गढ़ों को भी भस्म कर डालेगी।''
11) प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''एदोम के असंख्य अपराधों के कारण उसके दण्ड का निर्णय अटल है; उसने तो हृदय पर पत्थर रख कर अपने भाई पर तलवार चलायी थी; वह अपने क्रोध में कुढता रहता था और आगबबूला हुआ करता था।
12) इसलिए मैं तेमान में आग लगा दूँंगा, जो बोस्त्रा के गढ़ो को भी भस्म कर डालेगी''।
13) प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''अम्मोनियों के असंख्य अपराधों के कारण उसके दण्ड का निर्णय अटल है; उन्होंने तो अपनी सीमाएँ बढ़ाने के लिए गर्भवती माताओं के पेट चीर डाले थे।
14) इसलिए मैं रब्बा की दीवारों में आग लगा दूँगा; युद्ध के दिन, कोलाहल के बीच, तूफान के दिन बवण्डर के वेग से आग भभक उठेगी और उनके गढों को भस्म कर डालेगी।
15) अपने सब सामन्तों के साथ उनका राजा निर्वासित कर दिया जायेगा।'' यह प्रभु की वाणी है।

अध्याय 2

1) प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''मोआब के असंख्य अपराधों के कारण उसके दण्ड का निर्णय अटल है; उन्होंने तो एदोम के राजा की हड्डियाँ जला कर चूना बना दिया था।
2) इसलिए मैं मोआब पर आग बरसा दूँगा, जो करीयोत के गढ़ों को भस्म कर डालेगी। कोलाहल मचेगा और युद्धघोष तथा शोरगुल के बीच मोआब का काम तमाम हो जायेगा।
3) मैं उनके राजा को मार डालूँगा और उसके साथ उसके सभी शासकों को भी मिटा दूँगा।'' यह प्रभु की वाणी है।
4) प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''यूदा के असंख्य अपराधों के कारण उसके दण्ड का निर्णय अटल है; उन्होंने तो प्रभु-ईश्वर की विधि को ठुकरा दिया है और उसके विधानों की अवहेलना की है। उनके पूर्वज जिन मिथ्या देवताओं की पूजा करते थे, यूदा के लोग भी उनकी पूजा कर पथभ्रष्ट हो गये हैं।
5) इसलिए मैं यूदा पर आग बरसा दूँगा, जो येरुसालेम के गढ़ों को भी भस्म कर डालेगी।''
6) प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''इस्राएल के असंख्य अपराधों के कारण मैं उसे अवश्य ही दण्डित करूँगा। वे चाँदी के सिक्के से निर्दोष को बेचते है और जूतों की जोडी के दाम कंगाल को।
7) वे दरिद्रों का सिर पृथ्वी की धूल में रौंदते हैं और दीनों पर अत्याचार करते हैं। पिता और पुत्र, दोनों एक ही लौण्डी के पास जाते हैं और इस प्रकार मेरे पवित्र नाम को अपवित्र करते हैं।
8) वे गिरवी रखे कपडों का बिछा कर वेदियों के पास लेट जाते हैं और अपने ईश्वर के मन्दिर में जुरमाने के पैसे से खरीदी हुई मदिरा पीते हैं।
9) मैंने ही उनकी आंखों के सामने अमोरियों का सर्वनाश किया। वे देवदार की तरह ऊँचे और बलूत की तरह तगडे थे। फिर भी मैंने ऊपर उनके फलों को और नीचे उनकी जडों को नष्ट कर डाला।
10) मैंने ही तुम को मिस्र से निकालकर चालीस बरस तक मरुभूमि में तुम्हारा पथप्रदर्शन किया और तुम्हें अमोरियों का देश प्रदान किया।
11) मैंने तुम्हारे कुछ पुत्रों को नबी बना दिया था और तुम्हारे कुछ तरूणों को नाजीर होने के लिए चुना था। इस्र्राएल के लोगों! क्या यह सच नहीं है?'' यह प्रभु की वाणी है।
12) ''परन्तु तुमने नाजीरों को अंगूरी पीने को बाध्य किया और नबियों को आज्ञा दी, नबूवत मत करना'।
13) देखो! पूलों से लदी हुई गाडी जिस तरह चीजों को रौंदती है, उसी तरह में तुम लोगों को कुचल दूँगा।
14) तब दौड़ कर भागने से कोई लाभ नहीं होगा। बलवान् की शक्ति व्यर्थ होगी। वीर योद्धा अपने प्राणों की रक्षा नहीं कर सकेगा।
15) धनुर्धारी नहीं टिकेगा, तेज दौडने वाला नहीं बच सकेगा और कोई भी घुडसवार अपनी जान बचाने में समर्थ नहीं होगा।
16) योद्धाओं में जो सब से शूरवीर है, वह उस दिन नंगा हो कर भाग जायेगा।'' यह प्रभु की वाणी है।

अध्याय 3

1) इस्राएलियों! सुनो! प्रभु तुम से, उस समस्त प्रजा से, जिसे वह मिस्र से निकाल लाया है, यह कहता हैः
2) ''मैंने पृथ्वी के सब राष्ट्रों में से तुम लोगों को ही चुना है। इसलिए मैं तुम्हारे अपराधों के कारण तुम्हें दण्डित करूँगा।
3) ''क्या दो व्यक्ति साथ-साथ यात्रा करेंगे, जब तक उन्होंने पहले से तय न कर दिया हो?
4) क्या सिंह जंगल में गरजता है, जब तक उसे शिकार न मिला हो? क्या सिंह-शावक अपनी माँद में गुर्राता है, जब तक उसे कुछ न मिला हो? क्या पक्षी पृथ्वी पर फंदे में पडता है, जब उस में कोई चारा नहीं हो?
5) क्या फन्दा जमीन पर से उछलता है, जब तक उस में शिकार न आया हो?
6) क्या नगर में सिंघे की आवाज सुनाई देगी और लोग डरेंगे नहीं? क्या नगर पर ऐसी विपत्ति आ सकती है, जिसे प्रभु ने वहाँ न भेजा हो?
7) क्योंकि प्रभु-ईश्वर नबियों, अपने सेवकों को सूचना दिये बिना कुछ नहीं करता।
8) सिंह गरजा है, तो कौन नहीं डरेगा? प्रभु-ईश्वर बोला है, तो कौन भविष्यवाणी नहीं करेगा?''
9) अस्सूर के गढ़ों को घोषित कर दो और मिस्र के गढ़ों को भी घोषित कर दो। यह घोषणा हैः ''समारिया के पर्वतों पर एकत्रित हो जाओ और वहाँ हो रहे भीषण कोलाहल पर ध्यान दो और कि वहाँ क्या अत्याचार हो रहा है''।
10) प्रभु कहता है कि उन को सदाचार करना नहीं आता; वे तो अपने गढ़ों में हिंसा और हराम की कमाई जमा करते हैं।
11) अतः प्रभु-ईश्वर यह कहता हैः ''शत्रु देश को घेर कर तेरा वैभव छिन्न-भिन्न कर देगा और तेरे गढ़ों को लूट लेगा''।
12) प्रभु यह कहता हैः ''चरवाहा जिस प्रकार सिंह के मुँह से भेड के पैर अथवा कान का टुकड़ा बचा लेता है, उसी प्रकार समारिया में रहने वाले कुछ इस्राएली बचाये जायेंगे। जो बचेंगे भी, वे वैसे ही जाति का अवशेष होंगे, जैसे मसनद का कोना अथवा पलंग के पाये का टुकड़ा।
13) ''सुनो और याकूब के घराने के विरुद्ध साक्ष्य दो''- यह प्रभु-ईश्वर, सर्वोच्य ईश्वर की वाणी हैः
14) ''जिस समय में अपने अपराधों के लिए इस्राएल को दण्ड दूँगा, उस समय मैं बेतेल को उसकी वेदियों के कारण दण्ड दूँगा, और वेदी के सींगों को ताड कर गिरा दूँगा।
15) मैं शीत-महल और ग्रीष्म भी नष्ट कर दोनों को चूर-चूर करूँगा, हाथीदाँत से सजे महल भी नष्ट कर डालूँगा और बडे-बड़े राजप्रसाद धूल में मिल जायेंगे।'' यह प्रभु की वाणी है।

अध्याय 4

1) ''समारिया पर्वत पर रहने वाली बाशान की गायो! तुम जो गरीबों को सताती हो और हीनों को दबाती हो; तुम, जो अपने पतियों से कहती हो, 'हमारे लिए पीने का प्रबन्ध करो',
2) प्रभु-ईश्वर अपनी ही पवित्रता की शपथ से कहता हैः तुम्हारे ऐसे दिन आ रहे हैं कि वे तुम को पकड़ कर काँटों से घसीट ले जायेंगे; सब-के-सब बंसियों से फँसी मछलियों की तरह ले जायी जाओगी।
3) वे तुम को गिरी हुई दीवारों की दरारों से हो कर सीधे बाहर निकाल कर हरमोन की ओर ले जायेंगे।'' यह प्रभु की वाणी है।
4) ''बेतेल जा कर पाप करो, गिलगाल जा कर पाप-पर-पर करो! प्रतिदिन प्रातः अपनी बलियाँ चढाओ और तीसरे दिन अपना दशमांश ले आओ!
5) धन्यवाद-बलि के लिए खमीरी रोटी चढाओ और अपनी इच्छा से चढायी गयी बलियों पर डींग हाँको : यह तुम्हें पसन्द है न, इस्राएल के लोगों!'' यह प्रभु-ईश्वर की वाणी है।
6) ''मैंने ही तुम्हारे नगरों में अकाल भेजा था और तुम्हारे सब कसबों मे तुम को भूखा छोड़ा था; फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।'' यह प्रभु की वाणी है।
7) ''गेहूँ अंकुरित हुआ ही था कि मैंने वर्षा बन्द की थी; मैंने एक नगर पर पानी बरसाया और दूसरे को उस से अछूता रखा; एक खेत पर वर्षा की और दूसरे को, वर्षा न मिलने के कारण सूखने दिया;
8) दो-तीन नगरों के लोग पीने के पानी की खोज में पडोस के नगरों मे घूमते थे, किन्तु प्यासे ही रह गये। फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।'' यह प्रभु की वाणी है।
9) ''मैंने तुम को पाले और गेरूए से मारा और तुम्हारे बाग-बगीचों को उजाड दिया; टिड्डियों ने अंगूर और जैतून के वृक्ष चाट डाले। फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।'' यह प्रभु की वाणी है।
10) ''मैंने तुम पर मिस्र की तरह महामारी भेजी; मैंने तुम्हारे नवयुवकों को तलवार के घाट उतरवा दिया; तुम्हारे घोड़े लुट गये; तुम्हारी छावनी में मृतकों के पडे रहने से सडायंध तुम्हारी नाकों में भर गयी। फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।'' यह प्रभु की वाणी है।
11) ''जिस प्रकार ईश्वर ने सोदोम और गोमोरा का सर्वनाश किया था, उसी प्रकार मैंने तुम पर विपत्ति भेजी है। तुम आग में से निकाली हुई लुआठी-जैसे बन गये थे। फिर भी तुम मेरे पास नहीं लौटे।'' यह प्रभु की वाणी है।
12) ''इस्राएल! इसलिए मैं तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार करूँगा। और क्योंकि मैं तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार करूँगा, इस्राएल! तुम अपने ईश्वर के सामने आने के लिए तैयार हो जाओ।''
13) देखो, जो पर्वतों का निर्माण करता है और हवा बहाता है, जो मनुष्य को अपना मित्र बनाता हैं, जो प्रकाश और अंधकार, दोनों रचता है और पर्वत-शिखरों के ऊपर विचरता है, उसका नाम प्रभु, विश्वमण्डल का ईश्वर है।

अध्याय 5

1) इस्राएल के घराने! मैं तुम्हारे विषय में यह शोकगीत सुना रहा हूँ:
2) ''कन्या इस्राएल गिर गयी है- अब वह उठ नहीं पायेगी। त्याग दी गयी कन्या अपनी ही भूमि पर पड़ी हुई हैं कोई उसे उठाने वाला भी नहीं है।''
3) यह प्रभु-ईश्वर की वाणी हैः ''इस्राएल के घराने! यदि कोई नगर एक हजार सैनिक भेजेगा, तो उन में से एक सौ बच कर लौटेंगे; और यदि कोई एक सौ भेजेगा, तो उन में से दस बच कर लौटेंगे।
4) प्रभु-ईश्वर इस्राएल के घराने से यह कहता हैः ''मुझ को ढूँढो और तुम जीवित रहोगे।
5) बेतेल की शरण मत जाना, गिलगान के पास न जाना, न बएर-शेबा जाने के लिए सीमा पार करना; गिलगाल तो अवश्य ही सुनसान हो जायेगा और बेतेल मिट्टी में मिल जायेगा।''
6) अतः जीवित रहने के लिए प्रभु-ईश्वर को ही ढूँढो। ऐसा न हो कि यह यूसुफ के घराने पर ऐसी आग की तरह लपक आये, जो उसे भस्म कर डालेगी और जिसे बेतेल में कोई नहीं बुझा सकेगा।
7) जिसने कृतिका और मृगशीर्ष बनाया, जो रात को उषा में बदल देता है, जो दिन से अंधेरी रात कर देता है, जो समुद्र के जल को आज्ञा दे कर पृथ्वी-तल पर बरसाता है, उसका नाम प्रभु-ईश्वर है।
8) वह शक्तिशालियों की शक्ति मिटा सकता है और गढ़ों का विध्वंस कर सकता है।
9) तुम, न्याय को चिरायते-सा कडवा बनाने वालो और धर्म को मिट्टी में मिलाने वालो!
10) तुम उस से घृणा करते हो, जो कचहरी में सच्चा न्याय करता है और सत्य बोलने वालों का तिरस्कार करते हो।
11) अच्छा तो, तुमने दरिद्रों का शोषण किया है और तुम जबरदस्ती से अनाज की वसूली करते हो, जो महल तुमने कटे-छँटे पत्थरों से बनाये हैं, तुम उन में नहीं रह पाओगे; और जो मनोहर दाखबारियाँ तुमने लगायी है, तुम उनकी अंगूरी नहीं पी पाओगे।
12) मैं तो जानता हूँ कि तुम्हारे अपराध बहुत हैं और तुम्हारे पाप भारीः तुम लोग धर्मियों को तंग करते हो; तुम घूस ले कर न्यायालय के द्वारा से जरूरतमन्दों को भगा देते हो।
13) ऐसे समय में, इतने बुरे दिनों को देख कर, समझदार व्यक्ति चुप ही रहता है।
14) बुराई की नहीं, बल्कि भलाई की खोज में लगे रहो। इस प्रकार तुम्हें जीवन प्राप्त होगा और विश्वमण्डल का प्रभु-ईश्वर तुम्हारे साथ होगा, जैसा कि तुम उसके विषय में कहते हो।
15) बुराई से बैर करो, भलाई से प्रेम रखो और अदालत में न्याय बनाये रखो। तब हो सकता है कि विश्वमण्डल के प्रभु-ईश्वर यूसुफ के बचे हुए लोगों पर दया करे।
16) अतः प्रभु, विश्वमण्डल का ईश्वर यह कहता हैः ''सभी चौकों में विलाप होगा। और गली-गली में हाय-हाय मच जायेगी।
17) वे विलाप करने के लिए किसानों को बुलायेंगे और शोकगीत गाने के लिए गायकों को भी। सभी दाखबारियों में रोना होगा, क्योंकि मैं तुम्हारे बीच गुजरने वाला हूँ।'' यह प्रभु की वाणी है।
18) उनकी आशाओं पर पानी फिरेगा, जो प्रभु के दिन के लिए तरसते हैं; तुम को प्रभु के दिन से कोई लाभ नहीं होगा। उस दिन प्रकाश नहीं, वरन् अन्धकार होगा। वह बुरा दिन होगा,
19) जैसे सिंह से कोई भाग कर भालू के सामने आता है; या घर पहुँच कर दीवार की टेक ले ले, तो उसे सांँप डस दे।
20) प्रभु का दिन सचमुच अन्धकारमय होगा, प्रकाशमय नहीं; तिमिर में ज्योति की कोई किरण नहीं।
21) ''मैं तुम्हारे पवोर्ं से बैर और घृणा करता हूँ। तुम्हारे धार्मिक समारोह मुझे नहीं सुहाते।
22) मैं तुम्हारे होम और नैवेद्य स्वीकार नहीं करता और तुम्हारे द्वारा चढाये हुए मोटे पशुओं के शांति-बलिदानों की ओर नहीं देखता।
23) अपने गीतों को कोलाहल मुझ से दूर करो। मैं तुम्हारी सारंगियों की आवाज सुनना नहीं चाहता।
24) न्याय नदी की तरह बहता रहे और धर्मिकता कभी न सूखने वाली धारा की तरह।
25) इस्राएल के घराने! क्या तुमने उन चालीस वषोर्ं में, मरुभूमि में कभी मुझे बलि और नैवेद्य चढाते थे? कदापि नहीं।
26) तुमने सक्कूत को अपना राजा और कैवान को अपना देवता बनाया है; अब तुम को तुम्हारी इन मूर्तियों को कन्धों पर चढा कर ले जाना पडेगा,
27) क्योंकि मैं दमिश्क के आगे तक तुम्हें निर्वासित कर दूँगा।'' यह प्रभु की वाणी है। उसका नाम विश्वमण्डल का ईश्वर है।

अध्याय 6

1) ''धिक्कार उन लोगों को, जो सियोन में भोग-विलास का जीवन बितातें हैं! धिक्कार उन्हें, जो समारिया के पर्वत पर अपने को सुरक्षित समझते हैं! तुम, उत्तम राष्ट्र के गण्यमान्य नेताओ! तुम्हारे ही पास इस्त्राएली जनता न्याय के लिए आती है।
2) कलने जा कर देखो तो सही, और फिर वहाँ से महानगर हमात भी चले जाओ; उसके बाद फिलिस्तियों के गत नगर भी जा कर देखो। क्या तुम इन राज्यों से श्रेष्ठतर हो? क्या तुम्हारा देश इनके देश के बड़ा है?
3) अरे, तुम दुर्दिन टालना चाहते हो; टालना तो दूर रहे, तुम हिंसा का शासन समीप ला रहे हो।
4) वे हाथीदांत के पलंगो पर सोते और आराम-कुर्सियों पर पैर फैलाये पडे रहते हैं। वे झुण्ड के मेमरे और बाड़े के बछड़े चट कर जाते हैं।
5) वे सारंगी की ध्वनि पर ऊँचे स्वर में गाते और दाऊद की तरह नये वाद्यों का आविष्कार करते हैं।
6) वे प्याले-पर-प्याला मदिरा पीते और उत्तम सुगन्धित तेल से अपने शरीर का विलेपन करते हैं; किन्तु उन्हें यूसुफ के विनाश की चिंता नहीं है।
7) इसलिए उन्हें सब से पहले निर्वासित किया जायेगा।'' और उनके भोग-विलास का अन्त हो जायेगा।''
8) यह स्वयं प्रभु-ईश्वर की शपथ, यह विश्वमण्डल के ईश्वर का कहना हैः ''मैं याकूब के घमण्ड से घृणा करता हूँ, मैं उनके गढ़ों से नफ़रत करता हूँ; इसलिए मैं नगर और उसके सब निवासियों को त्याग दूँँगा।''
9) यदि किसी घर में दस आदमी जीवित रह गये, तो वे भी मार जायेंगे।
10) घर से शवों को उठाने के लिए बहुत कम लोग बच जायेंगे और यदि घर के आखिरी कोने में बैठे हुए व्यक्ति से कोई पूछेगा कि क्या तुम्हारे साथ और कोई है, तो वह उत्तर देगा, ''कोई नहीं''। वह यह भी बोलेगा, ''चुप रहो, प्रभु-ईश्वर का नाम न लेना''।
11) सावधान! प्रभु की आज्ञा यह हैः बड़ घर टुकडे-टुकडे हो जायेगा। और छोटा घर चूर-चूर कर दिया जायेगा।
12) क्या घोडे चट्टानों पर दौड सकते हैं? बैलों से कहीं समुद्र पर हल जोता जाता हैं? किन्तु तुमने न्याय को विषाक्त बना दिया है और धर्म को चिरायता-सा कडुआ बना दिया है।
13) तुम व्यर्थ ही हर्ष मना रहे हो कि हमने अपने ही बल से अपनी शक्ति बढायी है।
14) ''इस्राएली! मैं तुम्हारे विरुद्ध एक ऐसा शक्तिशाली राष्ट्र भडका दूँगा, जो हमात के दरेर्ं से अराबा के नाले तक तुम्हें तंग करेगा।'' यह प्रभु विश्वमण्डल के ईश्वर की वाणी है।

अध्याय 7

1) प्रभु-ईश्वर ने मुझे यह दृश्य दिखाया : राजा के चारे की फसल कट गयी थी और रबी के अंकूर फूटने लगे थे कि टिड्डियों का दल पैदा हो गया।
2) जब वे देश की पूरी हरियाली चाट चुकी, तब मैंने कहा, ''प्रभु-ईश्वर! मैं गिडगिडाता हूँ, क्षमा कर; याकूब इतना छोटा है, वह कैसे बचेगा?''
3) यह सुन कर प्रभु-ईश्वर मान गया और बोला, ''अब ऐसा नहीं होगा'।
4) प्रभु-ईश्वर ने मुझे यह दृश्य दिखाया : प्रभु-ईश्वर ने दण्ड देने के लिए आग को आज्ञा दी थी।
5) वह अतल समुद्र को सुखा चुकी थी और भूमि की ओर आगे बढ रही थी कि मैंने कहा, ''प्रभु-ईश्वर! मैं गिडगिडाता हूँ इसे रोक दे; याकूब इतना छोटा है, वह कैसे बचेगा?
6) यह सुन कर प्रभु-ईश्वर मान गया और बोला, ''अब यह भी नहीं होगा''।
7) प्रभु-ईश्वर ने मुझे यह दृश्य दिखायाः दीवार के पास, हाथ में साहूल लिए एक आदमी खड़ा था।
8) प्रभु-ईश्वर ने मुझ से पूछा, ''आमोस! तुम क्या देखते हो?'' मैंने कहा, ''साहुल''। तब प्रभु ने मुझ से कहा, ''मैं अपनी प्रजा इस्राएल पर साहुल लगाता हूँ; अब मैं उनके अपराधों का दण्ड दिये बिना नहीं छोडूँगा।
9) इसहाक के पूजा-टीले उजाड दिये जायेंगे! इस्राएल के पूजास्थान नष्ट कर दिये जायेंगे और अब यरोबआम के घराने के विरुद्ध मैं तलवार उठाऊँगा।''
10) बेतेल के याजक अमस्या ने इस्राएल के राजा यरोबआम के पास यह सन्देश भेजा, ''इस्राएल में ही आमोस आपके विरुद्ध षडयन्त्र रच रहा है। देश उसके भाषण सह नहीं सकता,
11) क्योंकि आमोस ने यह कहा है- यरोबआम तलवार के घाट उतारा जायगा और इस्राएल अपने स्वदेश से निर्वासित किया जायेगा।''
12) बेतेल के याजक अमस्या ने आमोस से कहा, ''नबी! यहाँ से चले जाओ। यूदा के देश भाग जाओ। वहाँ भविष्यवाणी करते हुए अपनी जीविका चलाओ।
13) बेतेल में भविष्यवाणी करना बन्द करो; क्योंकि यह तो राजकीय पुण्य-स्थान है, यह राज मन्दिर है।''
14) आमोस ने अमस्या को यह उत्तर दिया, ''मैं न तो नबी था और न नबी की सन्तान। मैं चरवाहा था और गूलर के पेड़ छाँटने वाला।
15) मैं झुण्ड चरा ही रहा था कि प्रभु ने मुझे बुलाया मुझ से यह कहा, ÷जाओ! मेरी प्रजा इस्राएल के लिए भविष्यवाणी करो'।
16) अब तुम प्रभु की वाणी सुनो। तुम तो कहते हो- इस्राएल के विरुद्ध भविष्यवाणी मत करो, इसहाक के वंश के विरुद्ध बकवाद मत करो।
17) किन्तु प्रभु यह कहता है। तुम्हारी पत्नी यहाँ नगरवधू बन जायेगी, तुम्हारे पुत्र-पुत्रियाँ तलवार के घाट उतार दिये जायेंगे और तुम्हारी भूमि जरीब द्वारा बाँट दी जायेगी। तुम स्वयं एक अपवित्र देश में मरोगे और इस्राएल अपने स्वदेश से निर्वासित किया जायेगा।''

अध्याय 8

1) प्रभु-ईश्वर ने मुझे यह दृश्य दिखायाः मैंने पके फलों की टोकरी देखी।
2) उसने मुझ से पूछा, ''आमोस! तुम क्या देखते हो?'' मैंने उत्तर दिया, ''पके फलों की टोकरी''। इस पर प्रभु ने मझ से कहा, ''मेरी प्रजा इस्राएल का अन्त निकट है; अब मैं उनके अपराधों का दण्ड दिये बिना नहीं छोडूँगा।
3) उस दिन दरबार की गायिकाएँ यह शोक गीत गायेंगीः यह प्रभु की वाणी है- लाशो के ढेर पड़ा हुआ है, सभी ओर मौन छाया हुआ है।''
4) तुम लोग मेरी यह बात सुनो, तुम जो दीन-हीन को रौंदते हो और देश के गरीबों को समाप्त कर देना चाहते हो।
5) तुम कहते हो, ''अमावस का पर्व कब बीतेगा, जिससे हम अपना अनाज बेच सकें ? विश्राम का दिन कब बीतेगा, जिससे हम अपना गेहूँ बेच सकें? हम अनाज की नाप छोटी कर देंगे, रुपये का वजन बढ़ायेंगे और तराजू को खोटा बनायेंगे।
6) हम चाँदी के सिक्के से दरिद्र को खरीद लेंगे और जूतों की जोड़ी के दाम पर कंगाल को। हम गेहूँ का कचरा तक बेच देंगे।''
7) प्रभु याकूब के अहँ का शपथ खा कर कहता है- ''तुम लोगों ने जो कुछ किया, मैं वह सब याद रखूँगा।
8) क्या यह सुन कर धरती नहीं काँप उठेगी? क्या उसके सब निवासी विलाप नहीं करेंगे? सारी पृथ्वी नील नदी की बाढ़ की तरह हिलोरित हो उठेगी और फिर मिस्र की नील नदी की तरह शान्त हो जायेगी।''
9) यह प्रभु की वाणी हैः ''उस दिन मैं मध्यान्ह में ही सूर्य को डुबा दूँगा और दोपहर में ही पृथ्वी पर अन्धकार फेलाऊँगा।
10) मैं तुम्हारे पवर्ोें को शोक में और तुम्हारे गीतों को विलाप में बदल दूँगाा। मैं सबों को टाट के कपड़े पहनाऊँगा और सबों के सिर का मुण्डन कराऊँगा। मैं इस देश को वही शोक दिलाऊँगा, जो एकलौते पुत्र के लिए होता है और इसका अन्तिम दिन बहुत कड़ा होगा।''
11) यह प्रभु की वाणी है : ''वे दिन आ रहे हैं, जब मैं इस देश में भूख भेजूँगा- रोटी की भूख और पानी की प्यास नहीं, बल्कि प्रभु की वाणी सुनने की भूख और प्यास।
12) तब वे प्रभु की वाणी की खोज में एक समुद्र से दूसरे समुद्र तक दौड़ते फिरेंगे और उत्तर से पूर्व तक भटकते रहेंगे, किन्तु वे उसे कहीं भी नहीं पायेंगे।
13) उस दिन कोमलांगी तरुणियों और नवयुवक प्यास से मूर्च्छित हो उठेंगे।
14) जो कोई समारिया की देवी अशीमा की शपथ खाते हैं,अथवा ÷दान! तेरे देव की शपथ!' या ÷बरए-शेबा! तेरे इष्टदेवता की शपथ!' कहते हैं, उन सब का पतन होगा; वे फिर नहीं उठ सकेंगे।''

अध्याय 9

1) मैंने प्रभु को वेदी के पास खड़ा देखा। उसने कहाः''खम्भों के शीर्ष पर प्रहार करो, जिससे ड्योढ़ियाँ तक हिल उठें; इन सब लोगों के सिर पर गिरा दो। जो बच भी जायेंगे, उन को मैं तरवार के घाट उतार दूँगा। उन में से एक भी भाग नहीं सकेगा, एक भी बच नहीं पायेगा।
2) यदि वे सुरंग खोद कर अधोलोक तक भी पहुँच जायें, तो मैं उन्हें वहाँ से भी अपने हाथ बढ़ा कर पकड़ लूँगा। और यदि वे स्वर्ग तक भी चढ़ जाये, तो मैं उन्हें वहाँ से भी नीचे खींच लाऊँगा।
3) यदि वे करमेल पर्वत के ऊपर चढ़ कर छिप जायें, तो मैं उन्हें वहाँ भी ढूँढ कर पकड़ लूँगा। येदि वे मेरे दृष्टि से बचने के लिए समुद्र की गहराइयों में जा छिपें, तो मैं वहाँ सर्प से उन्हें डसवा दूँगा।
4) यदि उनके शत्रु उन्हें निर्वासित कर अपने देश की ओर हाँकते ले जाये, तो वहाँ भी मैं उन पर तलवार चला कर उन्हें मार डालूँगा। मैं उनकी भलाई के उद्देश्य से नहीं वरन् हानि पहुँचाने के लिए उन पर दृष्टिपात करूँगा।
5) पुभु विश्वमण्डल का ईश्वर है- वह पृथ्वी का स्पर्श कर उसे गला देता है और उसके सभी निवासी विलाप करने लगते हैं। वह नील नदी का बाढ़ की तरह हिलोरें लेने लगती है और फिर मिस्र की नील नदी की तरह शान्त हो जाती है।
6) उसी प्रभु ने स्वर्ग के ऊपर अपनी अट्टालिका खड़ी की है और आकाश के मण्डप को पृथ्वी के ऊपर तान रखा है; वही समुद्र के जल को आदेश दे कर बुलाता है और उसे पृथ्वीतल पर बरसाता है उसका नाम प्रभु-ईश्वर है।
7) ''इस्राएल की सन्तान! क्या तुम और कूशी मेरी दृष्टि में एक समान नहीं हो? क्या मैं ही मिस्र से इस्राएल को कफ्तोर से फिलिस्तियों को और कीर से अरामियों को नहीं निकाल लाया?
8) देखो, मैं इस पापी राष्ट्र पर अपनी दृष्टि लगाये हूँ; मैं पृथ्वीतल से उसका नामोनिशान मिटा दूँगा। इतना होते हुए भी मैं याकूब के घराने को पूर्णतया नष्ट नहीं करूँगा।'' यह प्रभु की वाणी है।
9) यह मेरी आज्ञा है : मैं अन्य राष्ट्रों के साथ इस्राएल को सूप में पछोडूँगा; उसका एक भी दाना गिरने नहीं दूँगा।
10) मेरी प्रजा के सारे पापी तलवार से मार डाले जायेंगे; वे कहते तो हैं, ÷संकट हम पर नहीं आयेगा; अनिष्ट हमारे पास तक नहीं फटकेगा'।
11) ''उस दिन मैं दाऊद का टूटा-फूटा हुआ घर फिर खड़ा करूँगा। मैं उसकी दरारें भर दूँगा और उसके खँडहरों का पुनर्निर्माण करूँगा। वह जैसा पहले था, उसी तरह मैं उसे फिर बनवाऊँगा।
12) तब वे एदोम के बचे हुए अंश और उन सब राष्ट्रों को अपने अधिकार में करेंगे, जो पहले मेरे कहलाते थे।'' यह उस प्रभु की वाणी है, जो यह सब पूरा करेगा।
13) यह पुभु की वाणी है :''वे दिन आ रहे हैं, जब लुनने वाले के तुरन्त बाद हल चलाने वाला आयेगा और बोने वाले के बाद अंगूर बटोरने वाला। पहाड़ों से अंगूरी की नदियाँ बह निकलेंगी और पहाड़ियों से अंगूरी टपकती रहेगी।
14) तब मैं अपनी प्रजा इस्राएल के निर्वासितों को वापस ले आऊँगा। वे उजाड़ नगरों का पुनर्निर्माण करेंगे और उन में निवास करेंगे। वे दाखबारियाँ लगा कर अंगूरी पियेंगे और बगीचे रोप कर फल खायेंगे।
15) मैं उन्हें उनकी अपनी भूमि में स्थापित करूँगा और मैं जो भूमि उन्हें प्रदान करूँगा, उस से वे फिर कभी उखाड़े नहीं जायेंगे।'' यह तुम्हारे प्रभु-ईश्वर की वाणी है।